29 August, 2019

MCB, MCCB, RCCB, और ACB में क्या अंतर है ??



MCB, MCCB, RCCB, और ACB में क्या अंतर है ?


नमस्कार दोस्तों हिन्द इलेक्ट्रिकल्स में आपका स्वागत है 


आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे की mcb,mccb, acb,और rccb में क्या अंतर होता है, हम जानेंगे की इन सर्किट ब्रेकर के आपस में क्या अंतर है जो इन्हें एक दुसरे से अलग करता है, तो चलिए देखते हैं 

यहाँ पर हम टोटल चार सर्किट ब्रेकर के बारे में जानने वाले हैं 

नंबर: 1. MCB-  मिनिएचर सर्किट ब्रेकर 
                      
             
 * mcb का फुल फॉर्म तो आप ने उपर देख ही लिया है तो अब बात करते हैं इसके और दुसरे                                स्पेसिफिकेशन के बारे में 
* mcb की कैपेसिटी 100 एम्पिअर तक की होती है यानी की 100 एम्पिअर से ज्यादा की mcb नहीं आती है 
* mcb के ट्रिप करने की क्रियाविधि को एडजस्ट नहीं कर सकते 
* mcb को 100 एम्पिअर से कम लोड के लिए सबसे अच्छा सर्किट ब्रेकर माना जाता है 
* mcb थर्मल या थर्मल मैग्नेटिक ओपरेसन पे काम करती है 


नम्बर: 2. MCCB- मोल्डेड केस सर्किट ब्रेकर 


* MCCB एक हज़ार (1000) एम्पिअर तक की आती है 
* MCCB के ट्रिप करने की क्रिया को एडजस्ट कर सकते हैं 
* MCCB भी mcb की तरह ही थर्मल ता थर्मल मैग्नेटिक ओप्रेसन पे काम करता है 




नंबर : 3. RCCB or RCD- रेसिडूअल करेंट सर्किट ब्रेकर या रेसिडूअल करेंट डिवाइस


* RCCB में फेज और न्यूट्रल दोनों के कनेक्शन किये जाते हैं 
* RCCB तब ट्रिप होती है जब कही पर एअर्थ की फाल्ट होती है 
* RCCB में आउट पुट से जो फेज लाइन निकलती है उसे वापस उसी के न्यूट्रल में आना चाहिए 
* RCCB किसी भी तरह के फाल्ट को तुरंत भाप लेती है और 30 मिली सेकंड के अन्दर ही ट्रिप हो जाती है 


नंबर: 4. ACB एयर सर्किट ब्रेकर           
                     
* ACB दस हज़ार(10000) एम्पिअर तक की आती है 
* ACB के ट्रिप करने की क्रिया को पूरी तरह से एडजस्ट कर सकते हैं और साथ ही साथ ही साथ इसके ट्रिपिंग के सीमा और इनमे लगे रिले को भी कॉन्फ़िगर कर सकते हैं 
* ACB आम तौर पर ये इलेक्ट्रानिकली कंट्रोल्ड होती है और कुछ मोडल माइक्रो प्रोसेसर कंट्रोल्ड भी होती है 
* ACB का इस्तमाल बड़े बड़े इंडस्ट्रीयल प्लांट में मेन पॉवर को डिस्ट्रीब्युट करने के लिए किया जाता है 

20 August, 2019

Electrical Wiring फिटिंग कितने प्रकार की होती है

Electrical Wiring फिटिंग कितने प्रकार की होती है

घरों में बिजली की फिटिंग बहुत पुराने समय से हो रही है अगर आपने कहीं पर अगर बिजली की पुरानी फिटिंग देखिए तो आपने देखा होगा कि वह आज के समय से काफी अलग है. क्योंकि पहले जो बिजली की वायर की फिटिंग की जाती थी. वह अलग तरीके से की जाती थी जिसमें बहुत ज्यादा समय लगता था और वह आज के समय जितनी सुरक्षित भी नहीं होती थी.
इससे पहले वाली पोस्ट में हमने घर में बिजली की पाइप फिटिंग की बात की थी कि घर में हम किस प्रकार बिजली की पाइप फिटिंग कर सकते हैं. घर में बिजली के पाईप फिटिंग करने के 4 तरीके होते हैं. आज के समय का तरीका Conduit  Wiring :-  जब हम घर बना रहे होते हैं तब हम बिजली की पाइप को कंक्रीट के अंदर दबा देते हैं जिसे हम Conduit (Concealed ) Wiring कहते हैं . Concealed Wiring Meaning In Hindi – Concealed का मतलब होता है गुप्त या छुपाया हुआ. इसीलिए इसका नाम Concealed Wiring होता है.
दूसरा तरीका होता है जो कि हमें आम घरों में देखने को मिलता है. दीवारों के ऊपर हम पाइप लगाकर फीटिंग करते हैं जो कि बाहर से ही दिखाई देती है. इसे हम Casing And Capping Wiring कहते है .यह पाइप फिटिंग करना बहुत ही आसान है. लेकिन इन दोनों में से जो Concealed वायरिंग होती है वह ज्यादा बढ़िया होती है इसके ज्यादा फायदे होते हैं .नीचे आपको सभी प्रकार के नाम दिए है.
  1. Cleat Wiring
  2. Batten Wiring
  3. Casing And Capping Wiring
  4. Conduit Wiring

1.Cleat Wiring

यह तरीका बहुत पुराना तरीका है जिसमें की बिजली की तारों को प्लास्टिक या लकड़ी के ऊपर लगाकर फिट की जाती थी. लेकिन यह बिजली की फिटिंग सिर्फ कुछ समय के लिए ही कर सकते थे. इसे हम हमेशा के लिए नहीं रख सकते थे. क्योंकि इस बिजली की फिटिंग में काफी खतरा होता था इसलिए इसे हम घर पर भी नहीं कर सकते थे.

Cleat Wiring के फायदे
  • यह फिटिंग करना बहुत ही आसान और सस्ता था.
  • टेंप्रेरी फिटिंग के लिए यह तरीका बहुत बढ़िया था जहां पर किसी तरह का कोई निर्माण चल रहा हो या फिर कोई आर्मी कैंप.
  • इस फिटिंग में सभी तारे बाहर से दिखाई देती थी इसलिए उसे रिपेयर करना बहुत आसान था.
Cleat Wiring के नुकसान
  • यह फिटिंग दिखने में अच्छी नहीं लगती
  • इस फिटिंग को हम परमानेंट नहीं रख सकते क्योंकि यह कुछ दिनों बाद ढीली हो जाती है.
  • जैसा की हमने बताया यह फिटिंग केबल को बाहर रहती है इसलिए उस पर हर तरह के वातावरण का प्रभाव होता है जिससे अगर
  • आपने कम क्वालिटी की वायर लगाई है तो वह बहुत जल्दी खराब हो जाएगी.
  • इस मीटिंग में तारों पर मौसम का बहुत ज्यादा प्रभाव होता है इसलिए इसका टूटने का और इसके जलने का बहुत ज्यादा खतरा होता है.
  • इस फिटिंग को हम सिर्फ 220 से 440 वोल्टेज तक कम तापमान पर इस्तेमाल कर सकते हैं.

2.Batten Wiring

वायरिंग बहुत पुराना तरीका है जिसके अंदर सभी तारों को एक लकड़ी की पट्टी (Batten) के ऊपर लोहे की क्लिप से बांध दिया जाता है और यह कलेक्ट बहुत ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल की जाती है ताकि तार कुछ लकड़ी की पट्टी से बिल्कुल अच्छे से बंद हो जाए.यह क्लिप देखने में एक बेल्ट के जैसे होती है. जो जो कि पहले पट्टी के ऊपर लगाई जाती है और फिर पट्टी के ऊपर तारों को बिछाकर इस क्लिप के साथ में अच्छे से बांध दिया जाता है .

BattenWiring के फायदे
  • इस वायरिंग को करना बहुत साधारण और आसान है.
  • ये वायरिंग का तरीका दूसरी वायरिंग से सस्ता है.
  • यह वायरिंग दिखने में भी काफी बढ़िया लगती है.
  • इस वायरिंग को रिपेयर करना भी आसान है.
Batten Wiring के नुकसान
  • इस वायरिंग को हम घर से बाहर खुले में नहीं कर सकते.
  • यह वायरिंग बाहरी वातावरण से सुरक्षित नहीं होता क्योंकि इस पर मौसम का काफी प्रभाव पड़ता है.
  • इस वायरिंग में ज्यादा Heavy Wire को इस्तेमाल नहीं कर सकते.
  • यह वायरिंग सिर्फ 220 Volt के लिए काफी है.

3.Casing And Capping Wiring

यह वायरिंग बहुत पॉपुलर है. क्योंकि इस वायरिंग फिटिंग को करना बहुत ही आसान है और यह काफी सस्ती भी है. और यह दीवारों के ऊपर की जाती है तो इसे कोई भी बड़ी आसानी से फिट कर सकता है. इस वायरिंग फिटिंग में तारों को Plastic Casing Enclosures के अंदर रखा जाता है. यह एक तरह से ओपन फिटिंग है लेकिन Plastic Casing Enclosures के कारण इसे ऊपर से ढक दिया जाता है जिससे यह दिखने में भी अच्छी लगती है और ज्यादा सुरक्षित रहती है.

 जैसे कि आप ऊपर फोटो में देख सकते हैं यह किस तरह से बंद और खुल सकती है. तो पहले इसका एक हिस्सा दीवार के ऊपर फिट किया जाता है और बाद में इसके अंदर तार डालकर इसे ढक दिया जाता है.
Casing Capping Wiring के फायदे
  • यह वायरिंग सिस्टम दूसरी वायरिंग सिस्टम से काफी आसान और सस्ता है.
  • यह वायरिंग सिस्टम काफी मजबूत और ज्यादा समय तक चलने वाला होता है
  • इस वायरिंग में आप बदलाव बहुत ही आसानी से कर सकते हैं.
  • इस पर वातावरण का भी कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता तो इसे आप बाहर भी कर सकते हैं.
  • इसमें इलेक्ट्रिक शॉक लगने का कोई खतरा नहीं होता क्योंकि यह तारों को अच्छे से ढक देता है
Casing Capping Wiring के नुकसान
  • अगर इसके अंदर तारों में किसी कारण आग लग जाती है तो यह पूरी फिटिंग जल सकती है
  • इस पर केमिकल और हिट का असर होता है. क्योंकि यह प्लास्टिक की बनी होती है
  • इसका रिपेयरिंग का खर्चा ज्यादा होता है और इसमें ज्यादा सामग्री की जरूरत पड़ती है
  • अगर आप लकड़ी की Casing & Capping का इस्तेमाल करते हैं तो उस पर दीमक लगने का भी खतरा होता है.

4.Conduit Wiring

Conduit Wiring नाली फिटिंग :-यह फिटिंग आज के समय में बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है. इस वायरिंग में सभी तारों को एक पाइप के द्वारा फिट किया जाता है. यह वायरिंग मुख्य दो तरह से की जाती है.
  1. Surface Conduit Wiring
  2. Concealed Conduit Wiring
1. Surface Conduit Wiring
Casing Capping Wiring की तरह है यह फिटिंग दीवार और छत के बाहर की तरफ की जाती है. लेकिन इस वायरिंग में पाइप का इस्तेमाल किया जाता है जिससे कि यह और ज्यादा सुरक्षित हो जाती है और और ज्यादा समय तक टिकी रहती है.
2. Concealed Conduit Wiring
Concealed Conduit Wiring सिस्टम सबसे बढ़िया वायरिंग का सिस्टम है. इसके लिए आपको पाइप आपकी निर्माण के समय ही कंक्रीट के अंदर दबानी होती है. इसमें छत की जो पाइप होगी आपको सिर्फ वही निर्माण करते समय कंक्रीट के अंदर दबाने की जरूरत है. दीवारों पर जो भी आप पाइप लगाएंगे वह आप बाद में भी दीवार की कटिंग करके उसके अंदर दबा सकते हैं. तो यह सबसे सुरक्षित और सबसे बढ़िया और सबसे ज्यादा चलने वाला वायरिंग सिस्टम है.


Conduit Wiring Systems के फायदे
  • यह सबसे सुरक्षित वायरिंग सिस्टम है.
  • यह वायरिंग दीवार के अंदर होती है तो इससे कमरे की दिखावट और अच्छी हो जाती है.
  • इससे तारों पर वातावरण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता. और ना ही तारों के टूटने का खतरा होता.
  • इसकी रिपेयरिंग और मेंटेनेंस बहुत आसान है.
  • इस वायरिंग सिस्टम का इस्तेमाल कहीं पर भी किया जा सकता है इस पर किसी तरह के केमिकल या वातावरण का प्रभाव नहीं पड़ेगा.
  • अगर इस वायरिंग सिस्टम में धातु की पाइप का इस्तेमाल किया है तो उसे सही तरह से ग्राउंडिंग करने पर किसी तरह के इलेक्ट्रिक शॉक का कोई खतरा नहीं होता.
  • यह वायरिंग सिस्टम लंबे समय तक चलने वाला है .
Conduit Wiring Systems के नुकसान
  • यह वायरिंग सिस्टम दूसरे के मुकाबले बहुत महंगा होता है और अगर इस में धातु की पाइप का इस्तेमाल किया जाए तो यह और भी महंगा हो जाता है.
  • इस वायरिंग सिस्टम में तारों में कोई फॉल्ट आने पर ढूंढने में बहुत दिक्कत होती है.
  • अगर धातु की पाइप की अर्थिंग सही तरीके से ना हो तो इलेक्ट्रिक शॉक का खतरा हो जाता है.
तो यह वायरिंग के सिस्टम है जिसके तहत घर में या कहीं पर भी बिजली की वायरिंग कर सकते हैं. लेकिन इन में से सिर्फ दो ही वायरिंग के सिस्टम आज के समय में इस्तेमाल किए जाते हैं. जिसमें से सबसे ज्यादा Conduit Wiring सिस्टम इस्तेमाल होता है और फिर Casing Capping Wiring सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है. नीचे कमेंट करके जरुर बताएं कि आप कौन से वायरिंग सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं या करना चाहते हैं.

बिजली की फिटिंग में कौन से रंग की तार किस लिए होती है

बिजली की फिटिंग में कौन से रंग की तार किस लिए होती है

आज के समय में बिजली हमारे लिए हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गई है. बिजली के बिना हम शायद कोई भी काम नहीं कर पाएंगे या फिर ज्यादा दिन तक बिजली के बिना नहीं रह पाएंगे. क्योंकि इसका इस्तेमाल हम बहुत बड़े स्तर पर कर रहे हैं. बिजली का इस्तेमाल रहने के लिए फैक्ट्रियों में ट्रांसपोर्ट में लगभग हर जगह पर किया जाता है. और हर जगह इसे पहुंचाने के लिए बड़ी-बड़ी लाइनों का इस्तेमाल किया जाता है और उन लाइनों से आगे फिर छोटी लाइनों द्वारा हमारे घर तक इन्हें पहुंचाया जाता है. हमारे घर तक आने के बाद भी इसे हम अलग-अलग तारों की मदद से अलग-अलग जगह पर हमारे जरुरत के हिसाब से वायरिंग करते हैं. लेकिन बड़े पावर प्लांट से लेकर हमारे घर तक बिजली आने में और हमारे उपकरण तक बिजली लाने में एक वस्तु एक समान रहती है. वह है बिजली की तारें. बिजली की तारों को कहीं पर भी लगाने के लिए एक Color कोड का इस्तेमाल किया जाता है. ताकि बिजली का कार्य करते समय किसी तरह की कोई भी हानि ने हो.
वायरिंग करते समय तारों के रंग का पता होना चाहिए कि कौन सा तार किस लिए इस्तेमाल किया जाता है. बहुत से लोगों को अभी भी ठीक तरह से यह नहीं पता कि वायरिंग करने के लिए कौन से कौन से कलर की तार का इस्तेमाल किया जाता है या कितने प्रकार की तार का इस्तेमाल किया जाता है. भारत में पहले वायरिंग करते समय 3 रंगों केतार का इस्तेमाल किया जाता है जो कि अभी बदल गया है लेकिन बहुत से लोगों को यह नहीं पता कि अब नए जो Color Codes हैं वह कौन से हैं.
तो अगर आप एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर है या इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बनना चाहते हैं तो आपको भी बिजली की तारों के रंग के बारे में पता होना चाहिए कि कौन सी तार का क्या रंग होता है और यह किस काम आती है तो आज की इस पोस्ट में हम आपको Electrical Wiring Color Codes In Hindi मैं बताने वाले हैं. नीचे आपको सभी तारों के नाम और उनके रंग और वह किस लिए इस्तेमाल होते हैं सब कुछ बताया गया है .

बिजली की फिटिंग में कौन से रंग की तार किस लिए होती है

आपने अपने घर में सिर्फ दो या तीन तार देखे होंगे. जहां पर आपको लाल काला और हरा तार देखने को मिलेगा अगर आपने घर में अर्थिंग की है तभी आप को हरा तार और देखने को मिलेगा. नहीं तो अगर आप इन्वर्टर का कनेक्शन करते हैं तो आपको नीला या फिर सफेद तार देखने को मिलेगा. इनमे से कौन सा तारा किस लिए इस्तेमाल करते हैं यह आपको अलग-अलग तारों से नीचे बताया गया है.

1.Red Wire लाल तार

यह तो हम हमेशा फेज लाइन के लिए इस्तेमाल करते हैं. जिसमें कि हमारी बिजली होती है अगर आप लाइन टेस्टर की मदद से इस तार को चेक करेंगे तो आपको लाइन टेस्टर में लाइट जलती हुई नजर आएगी. इसीलिए हम लाल रंग की तार को फेज लाइन के लिए इस्तेमाल करते हैं.

2. Black Wire काला तार

इस रंग की तार का इस्तेमाल हम Neutral तार के लिए करते हैं. जिसमें कि हमारी किसी तरह की कोई बिजली नहीं होती. और यह तार उपकरण के ऊपर सीधी लगाई जाती है. इनवर्टर और मैन लाइन का कनेक्शन करते समय भी यह तार Common रखी जाती है.

3. Green Wire हरी तार

हरे रंग की तार का इस्तेमाल अर्थिंग के लिए किया जाता है. हमारे घर में जितने भी उपकरण हैं उनके अंदर भी आपको एक हरे रंग की तार मिलेगी. अगर आपने कभी उनका Plug काट कर देखा है. तो उसके अंदर आपको तीन तार मिलती है लाल, काला और हरा. तो उसमें भी जो हरे रंग का तार अर्थिंग  के लिए होता है.

Inverter Ke Liye Kis Color Ki Wire Lagaye?

इन्वर्टर का कनेक्शन करते समय हम ज्यादा कर सफेद रंग की तार का इस्तेमाल करते हैं.लेकिन अगर आप किसी और रंग की तार का इस्तेमाल करना चाहे जैसे की नीली या पीलीतो वह भी आप अपने हिसाब से कर सकते हैं लेकिन ध्यान रखेंगे इनवर्टर की तार आपको बाकी तीन रंगों से अलग रखनी है काला लाल और हरा इन तीनों में से किसी भी रंग की तरह को इंवर्टर के लिए इस्तेमाल में नहीं लेने.

3 Phase Ke Liye Kon Se Rang Ki Wire Lagaye

जैसा कि हम जानते हैं तीन फेज की मोटर में हम 3 तारों का इस्तेमाल करते हैं. तो इसीलिए हमें वह तीनों पेज की ही तार माननी पड़ेगी जिस में बिजली होती है. इसके लिए तीन रंगों की तार का इस्तेमाल किया जाता है लाल, पीली और नीली. इसके अलावा अर्थिंग करने के लिए हरे रंग की तार का इस्तेमाल किया जाता है.
घर में वायरिंग करते समय किन रंगों का ध्यान रखें कि आप को कौन से रंग के तार किस के लिए इस्तेमाल में लेनी है. मैन लाइन का कनेक्शन करते समय अपने घर की सप्लाई को बंद कर दें और किसी भी तार को रंगे हाथों से ना छुएं .हमेशा दस्तानों का इस्तेमाल करें. और बिजली का कार्य करते समय किसी तरह की कोई भी लापरवाही ना बरते इससे आपको बहुत बड़े नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
इस पोस्ट में आपको बताया गया है कि फेस की तार , न्यूट्रल की तार , अर्थिंग की तार, इनवर्टर की तार के लिए किस रंग का इस्तेमाल किया जाता है.हरे रंग की तार, नीले रंग की तार, पीले रंग की तार, सफेद रंग की तार, काले रंग की तार किस लिए किया जाता है.

Switch क्या है और ये कितने प्रकार के होते है

Switch क्या है और ये कितने प्रकार के होते है

किसी भी इलेक्ट्रिकल सर्किट को ऑन या ऑफ करने के लिए जिस इलेक्ट्रिकल डिवाइस का इस्तेमाल होता है उसे स्विच कहते हैं जैसे कि, Push Button Switch , Toggle Switch इत्यादि . सभी स्विच का काम किसी भी सर्किट से इलेक्ट्रॉन की सप्लाई को बंद करना या शुरू करना होता है.हमारे घरों में हमें टॉगल स्विच देखने को मिलते हैं जिनकी मदद से हम हमारे घर के सभी उपकरण को शुरू या बंद कर सकते हैं जैसे कि अगर हमें फैन शुरू करना है तो हम तो कल बटन को दबाएंगे और वह दबा रह जाएगा. जिससे हमारे पंखा में सप्लाई शुरू हो जाएगी. और जब तक पंखे में सप्लाई रहेगी पंखा चलता रहेगा और जैसे ही हम पंखे की सप्लाई या स्विच बंद कर देंगे तो पंखा चलना बंद हो जाएगा .
आज इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि What Is Electrical Switch In Hindi , Electrical Switch Types In Hindi तो आज इस पोस्ट में हम आपको इलेक्ट्रिकल स्विच के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं. यह कितने प्रकार के होते हैं और कौन सा स्विच कैसे काम करता है. नीचे आपको सभी स्विच के बारे में पूरी जानकारी दी गई है.

Switch Types In Hindi

स्विच कई तरह के होते हैं लेकिन इन्हें दो तरह की श्रेणियों में बांटा गया है
Mechanical Switches : जो Switch Physically Move किए जाते हैं. जिन्हें दबाया जाए या हिलाया जाए या जिससे छूया जा सके उन्हें मैकेनिकल स्विच कहते हैं, जैसे कि Push Button Switch , Toggle Switch , Limiter Switch इत्यादि.
Electronic Switches : ऐसी स्विच जिन्हें Physically दबाने या हिलाने की जरूरत नहीं पड़ती उनका सारा काम Semiconductor द्वारा हो जाये उन्हें  Electronic Switches  कहते है .

Mechanical Switches

Mechanical Switches का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले सभी स्विच मैकेनिकल होते हैं चाहे फिर वह हमारे घर के पंखे को फोन करने के लिए हो या फिर हमारे घर में मोटर को फोन करने के लिए हो मैकेनिकल स्विच को  संपर्कों की संख्या, पोल की संख्या  के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है जिस की सूची नीचे दी गई है.

Pole और Throw Switch

हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले सामान्य स्विच भी Pole और Throw Switch होते है .लेकिन हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले सामान्य स्विच Single Pole Single Throw Switch . जिससे हम मेन सप्लाई को किसी भी उपकरण में भेज सकते हैं . लेकिन इसके अलावा भी एक Pole और एक Switch  से ज्यादा के Switch होते हैं जैसे :
  • Single Pole Double Throw Switch
  • Double Pole Single Throw Switch
  • Double Pole Double Throw Switch

Single Pole Single Throw Switch :- इनका इस्तेमाल अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरह से किया जाता है जैसे की Single Pole Single Throw Switch बटन सामान्य हमारे घरों में लगाया जाता है जिससे कि हम सिर्फ एक तार की सप्लाई को किसी भी उपकरण में दे सकते हैं.
Single Pole Double Throw Switch :- इस बटन की मदद से हम किन्हीं दो उपकरण में से एक उपकरण को ही एक समय पर चला सकते हैं जैसे कि आपके घर में कहीं पर दो पंखे हैं और आप एक समय में सिर्फ एक  पंखा On करना चाहते हैं. तो इस बटन का उपयोग करके दोनो पंखों के कनेक्शन इस एक बटन पर कर सकते हैं. तो जब बटन एक तरफ होगा तो एक पंखा चलेगा और दूसरा  पंखा चलाने के लिए आपको बटन को दूसरी तरफ दबाना पड़ेगा.
Double Pole Single Throw Switch : इस बटन का उपयोग फिर हम समान्यत है अपने घरों में कर सकते हैं.यह बटन किसी भी उपकरण के दोनों तारों की सप्लाई को ON या OFF करने के लिए किया जा सकता है.
Double Pole Double Throw Switch :  इस बटन का उपयोग करके हम किसी भी उपकरण के दोनों तारों के कनेक्शन को बड़ी ही आसानी से बदल सकते हैं. जैसे कि अगर हमें किसी डीसी मोटर के  घूमने की दिशा को बदलना है .तो हम इस बटन की मदद से उस मोटर के तारों के कनेक्शन को उल्टा करके उसकी घूमने की दिशा को बड़ी ही आसानी से बदल सकते हैं.

Push Button Switch

जो बटन एक बार दबाने से अपना काम करता है उसे Push बटन कहते हैं यह आपको बहुत सारी Electrical डिवाइस में देखने को मिलता है जैसे कि केलकुलेटर , Motor Startor , मोबाइल लैपटॉप इत्यादि.यह बटन किसी भी सर्किट को बंद करने के या शुरू करने के काम आता है. हमें Induction मोटर स्टार्टर में यह पुश बटन देखने को मिलते हैं और वहां पर हमें दो पुश बटन मिलते हैं जिसमें से एक पुश बटन स्टार्टर को शुरू करता है और दूसरा पुश बटन उस स्टार्टर को बंद करता है तो इसके अलग-अलग टाइप है जो कि अलग – अलग काम करते हैं.

इस Button के बारे में पूरी जानकारी हमारी इस पोस्ट में देखे : Push Button क्या है Push Button कितने Type के होते है

Toggle Switch

यह बटन हमारे घरों में भी आपको देखने को मिलते हैं हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले सामान्यतः सभी बटन Toggle बटन होते हैं इन्हें हमें अपने हाथों से दबा कर ON या Off करना पड़ता है.
टॉगल स्विच को भी आगे कुछ केटेगरी में बांटा गया है जैसे की “Single Pole Double Throw Switch , Double Pole Single Throw Switch , Double Pole Double Throw Switch”

Limit Switch

इस स्विच का इस्तेमाल किसी भी उपकरण पर उसकी लिमिट को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है जैसे कि अगर कोई उपकर किसी वस्तु को ऊपर या नीचे की तरफ ले कर जा रहा है तो जहां पर आप इस स्विच को और लगाओगे वहीं पर वह उपकरण उस वस्तु को रोक देगा.
इस बटन में एक NO Point होता है और एक NC Point होता है जिसका इस्तेमाल करके हम किसी भी उपकरण की सप्लाई को  ON या Off कर सकते हैं.

Float Switches

इस बटन का इस्तेमाल पानी तेल जैसे तरल पदार्थों में किया जाता है और यह स्विच आपको आपके वाटर टैंक में भी देखने को मिल सकता है अगर आपने अच्छा वाटर टैंक अलार्म लिया है.यह स्विच किसी भी तरल पदार्थ की स्थिति को बताने के लिए इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि अगर आपको किसी टैंक में भर रहे पानी की स्थिति को जानना है कि जब वह टैंक फुल हो जाए तो आपको पता चल जाए या फिर जब वो टैंक खाली हो जाए तब आपको पता चल जाए तो इस तरह की स्थिति को जानने के लिए इस स्विच का इस्तेमाल किया जाता है.

Pressure Switches

स्विच का इस्तेमाल किसी भी उपकरण में उसके प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है जैसे कि हवा भरने का टैंक में एक लिमिट तक हवा भरी जाती है तो उस लिमिट को हम इस स्विच की मदद से Set कर सकते हैं.
ज्यातर इस्तेमाल Industrial उपकरण में किया जाता है जैसे की Hydraulic Systems और Pneumatic उपकरण में .

Temperature Switches

यह स्विच तापमान को कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है .अगर हमें कहीं का तापमान ज्यादा रखना है या कहीं का तापमान कम रखना है तो वहां पर इस स्विच का इस्तेमाल किया जाता है इस स्विच में Bimetallic Strip (द्विधातु पट्टी) होती है जोकि Thermal Expansion (तापीय प्रसार) सिद्धांत पर काम करती है.

Rotary Switches

यह Switch एक लाइन को दूसरी कई लाइनों के साथ जोड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है मान लीजिए कि एक रूम में 6 लाइट है और उनमें से एक समय में सिर्फ एक Light ON करना चाहते हैं तो आप इस स्विच को इस्तेमाल करके सभी लाइट के कनेक्शन इस एक स्विच पर कर सकते हैं और एक स्विच की मदद से अलग अलग समय पर सभी लाइट को ऑन कर सकते हैं. यह Switch एक Simple Pole Throw  स्विच की तरह काम करता है .

Electronic Switches

ऐसी स्विच जिन्हें Physically दबाने या हिलाने की जरूरत नहीं पड़ती उनका सारा काम Semiconductor द्वारा हो जाये उन्हें  Electronic Switches  कहते है . इन स्विच का इस्तेमाल मोटर ड्राइव और HVAC उपकरण में इस्तेमाल किया जाता है .
मार्केट में हमें अलग अलग रेटिंग और अलग अलग साइज के इलेक्ट्रिक स्विच देखने को मिलते हैं कुछ Solid State Switches   होते हैं जैसे कि Transistors, SCRs, MOSFETs, TRIACs और IGBTs.

Bipolar Transistors

ट्रांजिस्टर एक सामान्य स्विच की तरह काम करता है यह या तो करंट को पास करता है या करंट को पास नहीं करता जैसे की एक सामान्य स्विच काम करता है .जब BASE टर्मिनल पर पर्याप्त मात्रा में करंट दिया जाता है तो ये ट्रांजिस्टर एक्टिवेट हो जाता है .

Power Diode

Power Diode को बनाने के लिए सिलिकॉन और जर्मेनियम जैसे सेमीकंडक्टर का उपयोग किया जाता है .ज्यादातर Power Diode  सिलिकॉन का उपयोग करके बनाये जाते है .ताकि ये उच्च Currents और उच्च जंक्शन तापमान पर काम कर सके. इसके दो टर्मिनल होते है जिन्हें  Anode और Cathode कहा जाता है .
इनके अलवा कुछ Transistors भी Electronic Switches का काम करते है .
  1. MOSFET
  2. IGBT
  3. SCR
  4. TRIAC
  5. DIAC
  6. Gate Turn-Off Thyristor
इस पोस्ट में आपको बताया Switch In Hindi  , स्विच बोर्ड , Network Switch , Types Of Switches 

घरेलू बिजली फिटिंग करते समय इन बातों का ध्यान रखे

घरेलू बिजली फिटिंग करते समय इन बातों का ध्यान रखे

घर पर बिजली की फिटिंग करना या घर की वायरिंग करना वैसे तो बहुत ही आसान काम है कोई भी सामान्य व्यक्ति जिसे बिजली के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी है वह अपने घर की वायरिंग आसानी से कर सकता है. लेकिन हर एक सामान्य व्यक्ति को कई बातों का नहीं पता होता जिसके कारण वह घर की फिटिंग वायरिंग करते समय काफी गलतियां कर देता है. और इन गलतियों का उसे बाद में पता चलता है. और फिर उसे वह गलतियां ठीक करनी पड़ती है. तो उन सभी गलतियों को आप ना करें इसीलिए आज इस पोस्ट में हम आपको घरेलू बिजली फिटिंग करते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इसके बारे में बताएंगे.
वैसे तो बिजली फिटिंग से संबंधित हमने पहले भी काफी जानकारी हमारी वेबसाइट पर साझा की है जैसे कि बिजली की फिटिंग में कौन से रंग की तार किस लिए होती है , Electrical Wiring फिटिंग कितने प्रकार की होती है, Earthing क्या है अर्थिंग कैसे करे,यह सारी जानकारी इलेक्ट्रिकल वायरिंग से संबंधित है जिन्हें आपको जरूर पढ़ना चाहिए. यह जानकारी पढ़ने से पहले आपको नीचे दी गई बातों को ध्यानपूर्वक पढ़ना होगा तभी आप अपने घर में सही प्रकार से वायरिंग कर सकते हैं.

वायरिंग का नक्शा

घर पर वायरिंग करने से पहले आपको वायरिंग का नक्शा या वायरिंग का डायग्राम बनाना बहुत ही जरूरी है अगर आप अपने पूरे घर की वायरिंग का डायग्राम बना लेते हैं तो आपको काफी आसानी हो जाएगी सामान खरीदने में और वायरिंग करने में तो इसीलिए सबसे पहला काम आपका है कि आप अपने पूरे घर की वायरिंग का एक नक्शा तैयार करें. और उस नक्शे के आधार पर ही आप अपना सारा सामान खरीदे जिससे कि आपको पूरा पूरा सामान खरीदने में मदद मिलेगी और आपका पैसा और समय बर्बाद भी नहीं होगा.

बिजली की सामग्री अच्छी कंपनी की ख़रीदे

जब हम बिजली की फिटिंग करते हैं या वायरिंग करते हैं तो सबसे पहले हमारा सारा सामान बिल्कुल अच्छी क्वालिटी का होना चाहिए. क्योंकि बिजली से संबंधित कोई भी लापरवाही आपके लिए बहुत ही हानिकारक साबित हो सकती है. तो कुछ पैसे बचाने के लिए कभी भी कम क्वालिटी का बिजली का सामान ना खरीदें या फिर किसी लोकल कंपनी का सामान ना खरीदें. अक्सर आप दुकानदार के पास जाकर सिर्फ अपना सामान बता देते हैं. जिससे दुकानदार आपको सामान तो देता है. लेकिन कम से कम क्वालिटी का सामान आपको देगा जिससे कि दुकानदार को ज्यादा मुनाफा होगा और आपको सबसे ज्यादा हानि. तो इसीलिए सामान खरीदते समय किसी अच्छी कंपनी का नाम बताएं और उसी कंपनी का सामान खरीदें. हालांकि कंपनी का सामान थोड़ा सा महंगा होता है लेकिन उसकी गैरंटी होती है जिससे कि आपको किसी प्रकार का नुकसान होने की संभावना बहुत कम हो जाती है.
  1. Bajaj Electricals Limited
  2. Crompton Greaves
  3. Havells India Limited
  4. ABB India Limited
  5. Siemens
  6. Anchor
  7. Kirloskar Electric Company Limited
  8. HBL Power Systems Limited
  9. Emco Limited
  10. Alstom India Limited

Copper Wire का इस्तेमाल करे

जब हम घर की वायरिंग करते हैं तब तारों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है कि कौन से साइज की तार कहां लगानी है यह किस काम के लिए इस्तेमाल में लेनी है लेकिन यह सब काफी नहीं होता इसके अलावा हमें तारों की क्वालिटी पर भी ध्यान देना चाहिए जब हम मार्केट से तार लेने जाते हैं तो हम सिर्फ उसे तार का साइज बताते हैं कि हमें कितने Mm का तार चाहिए लेकिन यह नहीं बताते कि हमें कॉपर वायर चाहिए या फिर एलमुनियम की तार चाहिए. इसीलिए दुकानदार आपको ज्यादातर Aluminium की तार देता है क्योंकि वह सस्ती होती हैं और इसमें दुकानदार का ज्यादा मुनाफा होता है. लेकिन आपको ध्यान रखना है कि आपको अपने घर में सिर्फ और सिर्फ कॉपर की तार का ही इस्तेमाल करना है यह एलमुनियम की तार से थोड़ी सी महंगी जरूर होती है लेकिन इसकी क्वालिटी एलमुनियम की तार से कहीं ज्यादा होती है और यह ज्यादा लंबे समय तक चलती है. इसीलिए आप अपने घर की वायरिंग करते समय सिर्फ कॉपर के तार का इस्तेमाल करें .

तारों को अच्छे से जोड़े

जब हम वायरिंग करते हैं तो तारों का कनेक्शन करते समय या तारों को आपस में जोड़ते समय उनके कनेक्शन हम ढीले छोड़ देते हैं या जल्दबाजी में उस पर टेप लगाना भूल जाते हैं. जो की सबसे बड़ी लापरवाही मानी जाती है. जब भी घर में वायरिंग करते हैं तो जहां पर भी आपको दो तारों को आपस में जोड़ना पड़े या दो से ज्यादा तारों को आपस में जोड़ना पड़े तो उन पर आप अच्छे से टेप जरूर लगाएं और टेप को ज्यादा से ज्यादा टाइट रखने की कोशिश करें. जितना मजबूत कनेक्शन आप करेंगे उतनी ही दुर्घटना होने की संभावना कम होगी.

MCB और Fuse का इस्तेमाल करे

जब हम घर की वायरिंग करते हैं तो कुछ पैसे बचाने के लिए हम हमारे घर में फ्यूज या फिर एमसीबी का इस्तेमाल नहीं करते जिसका नुकसान हमें किसी दुर्घटना में पता चलता है तो किसी प्रकार की कोई भी दुर्घटना ना हो इसीलिए हमें फ्यूज और एमसीबी का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए अगर आप ज्यादा एमसीबी का इस्तेमाल नहीं कर सकते तो अपने पूरे घर पर एक एमसीबी का इस्तेमाल जरूर करें जो कि आपके घर में आने वाली मेन सप्लाई को कंट्रोल कर सके.

Indicator और FAN Regulator का इस्तेमाल करे

जब हम घर की वायरिंग करते हैं तब अक्सर स्विच बोर्ड में इंडिकेटर को लगाना भूल जाते हैं जिसका पछतावा हमें बाद में होता है. क्योंकि इंडिकेटर कि आपको बताता है कि आपके स्विच बोर्ड में सप्लाई आ रही है या नहीं. तो इसके लिए आपको अपने स्विच बोर्ड में एक इंडिकेटर जरूर लगाना चाहिए. और बहुत बार हम अपने स्विच बोर्ड में फैन रेगुलेटर का इस्तेमाल नहीं करते क्योंकि सोचते हैं कि इसकी क्या जरूरत है. लेकिन बिजली बचाने के लिए आपको FAN रेगुलेटर का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए और जब आपको लगे कि पंखे की स्पीड ज्यादा है तो उसे कम करके चलाएं. अगर हम फैन रेगुलेटर का इस्तेमाल करेंगे तो हम पंखे की स्पीड को कम कर के भी उसे चला सकते हैं जिससे कि हमें बिजली के बिल में भी बचत होगी.

Earthing जरुर करे

सामान्यतः हम घरों में कभी भी अर्थिंग का इस्तेमाल नहीं करते क्योंकि हम सोचते हैं कि हमें अर्थिंग की जरूरत नहीं है. लेकिन बहुत बार हमारा उपकरण खराब होने के कारण हमें इलेक्ट्रिक करंट लग जाता है. जिससे सिर्फ और सिर्फ अर्थिंग ही हमें बचा सकती है. तो इलेक्ट्रिक करंट से बचने के लिए हमें अपने घर में अर्थिंग करनी बहुत ही जरूरी है. और सभी उपकरण को भी अर्थिंग से जोड़ना बहुत ही जरूरी है. अगर आपको नहीं पता कि आप अपने घर में अर्थिंग कैसे कर सकते हैं तो इसके बारे में हमने पहले एक पोस्ट में बताया है उसे आप जरूर देखें .

5 – 15 Amp की सॉकेट और स्विच का इस्तेमाल करे

सामान्यतः घरों में हम 5 से 6 एंपियर की सॉकेट और स्विच का इस्तेमाल करते हैं . लेकिन जहां पर हमें ज्यादा बड़ा उपकरण चलाना होता है जैसे कि रूम हीटर पानी गर्म करने की रॉड फ्रिज इत्यादि वहां पर हमें कम से कम 15 से 16 एंपियर की स्विच और सॉकेट का इस्तेमाल करना चाहिए. लेकिन बहुत सारे लोग ऐसा नहीं करते हैं और वह ऐसे बड़े उपकरण को भी 5 से 6 एंपियर की सॉकेट और स्विच में लगा देते हैं जिसके कारण स्विच और सॉकेट दोनों ही जल जाते हैं. तो ऐसी दुर्घटना से बचने के लिए अपने घर में 15 से 16 एंपियर के भी स्विच और सॉकेट लगवाएं.
तो यह कुछ महत्वपूर्ण बातें थी जो कि आपको अपने घर में वायरिंग करते समय ध्यान में रखनी है अगर आप इनमे से कुछ बातों को भूल जाते हैं तो आप को काफी नुकसान हो सकता है यह सभी बातें बहुत ही महत्वपूर्ण हैं और इन्हें याद रखना बहुत ही ज्यादा जरूरी है तो जब भी घर की वायरिंग करें उससे पहले आप दोबारा से इन बातों को एक बार जरूर ध्यान से पढ़ लें 

Earthing क्या है अर्थिंग कैसे करे

Earthing क्या है अर्थिंग कैसे करे

अगर आप इलेक्ट्रिकल से संबंधित पढ़ाई कर रहे हैं तो आप ने अर्थिग के बारे में जरूर सुना होगा तो अगर आपको नहीं पता कि अर्थिंग क्या है ( What Is Earthing In Hindi) और यह हमारे लिए क्यों जरूरी है. और किस किस उपकरण पर अर्थिंग करना बहुत जरूरी होता है. और अर्थिंग और न्यूट्रल वायर में क्या अंतर है. यह सब जानकारी हम इस पोस्ट में आपको देने वाले हैं.
Ghar Ki Wiring  करते समय आपको बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है. स्विच बोर्ड में कनेक्शन करते समय आपको सभी तारों को ध्यान में रखना पड़ता है कि कौन सी तार में बिजली है और कौन सी वायर न्यूट्रल है या जिस में बिजली नहीं है. इस के अलावा हम एक और तार का भी कनेक्शन स्विच बोर्ड में करते हैं जिसे हम अर्थिंग या ग्राउंडिंग की तार कहते हैं. लेकिन यह हमारे लिए क्यों जरूरी है इसका पता सभी को नहीं होता. तो इसीलिए हम आपको Electrical Earthing In Hindi में बताने वाले हैं.

Definition Of Earthing In Hindi

किसी भी धातु वाली मशीन या उपकरण के धातु वाले हिस्से पर एक तार जोड़ कर उसे हम Earth Plate और Earth Electrode के साथ में जोड़ देते हैं इसे हम अर्थिंग या ग्राउंडिंग कहते हैं.पृथ्वी प्लेट या पृथ्वी इलेक्ट्रोड के लिए हम एक काफी मोटी तार का इस्तेमाल करते हैं जिसका प्रतिरोध बहुत कम होता है. और इसके लिए कम प्रतिरोध वाली तार का इस्तेमाल करने का भी कारण है. जो कि हम आपको आगे बताने वाले हैं.

Earthing System की जरूरत क्यों होती है

किसी भी उपकरण की अर्थिंग करने का सबसे पहला कारण होता है कि हम इलेक्ट्रिक शॉक से बच सकें. कई बार हमारा उपकरण खराब हो जाता है जिसके कारण उसके उपकरण के धातु वाले हिस्से में लीकेज करंट आ जाता है और जिसे छूने पर हमें करंट लग सकता है तो एसी करंट से बचने के लिए हम उस उपकरण की अर्थिंग कर देते हैं ताकि जो भी करंट है वह उस Earthing की मदद से सीधा धरती में चला जाए. और हमें बिजली का झटका ना लगे .
  • इसके अलावा हमें Earthing की क्यों जरूरत पड़ती है इसके कुछ पॉइंट नीचे बताए गए हैं.
  • अर्थिंग हमारे इलेक्ट्रिकल उपकरण को लीकेज करंट से बचाता है और हमें बिजली का झटका लगने से भी बचाता है.
  • यह बिल्डिंग को बारिश के समय गिरने वाली बिजली से भी बचाता है.

Electrical Earthing से संबंधित सवाल जवाब

Earth क्या है:
किसी भी बिजली से चलने वाले उपकरण को किसी तार के द्वारा धरती के अंदर दबी हुई अर्थिंग प्लेट से जोड़ना Earth कहलाता है
Solidly Earthed क्या है:
जब भी किसी बिजली के उपकरण को बिना किसी फ्यूज सर्किट ब्रेकर और प्रतिरोध के सीधा Earth Electrode से जोड़ा जाए उसे Solidly Earthed कहते हैं
Earth Electrode क्या है:
जब एक सुचालक या कुचालक की प्लेट को धरती के अंदर किसी बिजली के उपकरण की अर्थिंग के लिए दबाया जाता है तो इसे Earth Electrod कहते हैं.Earth Electrode कई प्रकार के होते हैं यह एक प्लेट के रूप में हो सकते हैं यह एक रोड के रूप में हो सकते हैं क्या किसी धातु की पानी वाली पाइप के रूप में हो सकते हैं जिस का प्रतिरोध कम से कम हो.
Earthing Lead क्या है :
Earth Electrode और उपकरण को आपस में जोड़ने के लिए Earthing Lead का इस्तेमाल किया जाता है.
Earth Continuity Conductor क्या है :
जो सुचालक तार हमारे घर के बिजली के सभी उपकरण को और स्विच बोर्ड को और पलक को आपस में जोड़ता है उसे हम Earth Continuity Conductor कहते हैं.
Earth Resistance क्या है:
अर्थ इलेक्ट्रोड और बिजली के उपकरण के बीच का कुल प्रतिरोध जिसे Ω (Ohms) में मापा जाए Earth Resistance कहलाता है.

Earthing कितने प्रकार की होती है

अर्थिंग कई प्रकार से की जाती है यह निर्भर करता है कि आप पर थी कहां पर और किस काम के लिए या कितने लोड के लिए करना चाहते हैं जैसे की हमारे घर में हमें ज्यादा हावी अर्थ इनकी जरूरत नहीं पड़ती लेकिन एक फैक्ट्री में एक बड़ी कंपनी में एक ज्यादा बड़ी अर्थी की जरूरत पड़ती है वहां पर एक या दो नहीं कई जगह से अर्थिंग लेनी पड़ती है. तुम नीचे आपको कुछ अर्थिंग के प्रकार बताए गए हैं और इनमें से एक अधिक का तरीका भी बताया गया है कि कैसे आप अपने घर में अर्थिंग कर सकते हैं .
1.Pipe Earthing
इस अर्थिंग के लिए कम से कम 1.5 या 2 Inch मोटी लोहे की पाइप का इस्तेमाल किया जाता है और इसकी लंबाई कम से कम 8 से 9 फुट होती है यह अर्थिंग इनका बहुत ज्यादा इस्तेमाल होने वाला तरीका है. इस तरीके में पाइप को नमी वाली जगह में 8 से 9 फुट नीचे गाढ़ दिया जाता है.और पाइप के चारो तरफ नमक और कोयला डालकर इसे ढक दिया जाता है और इससे अर्थिंग की तार को जोड़ दिया जाता है.
2.Rod Earthing
रोड अर्थिंग भी पाइप अर्थिंग की तरह ही होता है इसमें 12 Mm की एक तांबे की रोड को धरती में गाड़ दिया जाता है. तांबे की रोड को बिना गड्ढा खोद दे Pneumatic Hammer की मदद से सीधा धरती में गाड़ दिया जाता है. और इस से अर्थिंग वायर को जोड़ दिया जाता है .
3.Plate Earthing
प्लेट अर्थिंग सिस्टम में एक कॉपर की प्लेट होते हैं जिसका आकार 60cm X 60cm X 3.18mm ( 2ft X 2ft X 1/8 In) होता है.इस तांबे की प्लेट को धरती में 10 फीट नीचे दबा दिया जाता है. और यह प्लेट नमी वाली जगह में लगाई जाती है ताकि अर्थ इन ज्यादा अच्छे से हो सके .

Earthing क्या है अर्थिंग कैसे करे

Earthing क्या है अर्थिंग कैसे करे
अगर आप इलेक्ट्रिकल से संबंधित पढ़ाई कर रहे हैं तो आप ने अर्थिग के बारे में जरूर सुना होगा तो अगर आपको नहीं पता कि अर्थिंग क्या है ( What Is Earthing In Hindi) और यह हमारे लिए क्यों जरूरी है. और किस किस उपकरण पर अर्थिंग करना बहुत जरूरी होता है. और अर्थिंग और न्यूट्रल वायर में क्या अंतर है. यह सब जानकारी हम इस पोस्ट में आपको देने वाले हैं.
Ghar Ki Wiring  करते समय आपको बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है. स्विच बोर्ड में कनेक्शन करते समय आपको सभी तारों को ध्यान में रखना पड़ता है कि कौन सी तार में बिजली है और कौन सी वायर न्यूट्रल है या जिस में बिजली नहीं है. इस के अलावा हम एक और तार का भी कनेक्शन स्विच बोर्ड में करते हैं जिसे हम अर्थिंग या ग्राउंडिंग की तार कहते हैं. लेकिन यह हमारे लिए क्यों जरूरी है इसका पता सभी को नहीं होता. तो इसीलिए हम आपको Electrical Earthing In Hindi में बताने वाले हैं.

Definition Of Earthing In Hindi

किसी भी धातु वाली मशीन या उपकरण के धातु वाले हिस्से पर एक तार जोड़ कर उसे हम Earth Plate और Earth Electrode के साथ में जोड़ देते हैं इसे हम अर्थिंग या ग्राउंडिंग कहते हैं.पृथ्वी प्लेट या पृथ्वी इलेक्ट्रोड के लिए हम एक काफी मोटी तार का इस्तेमाल करते हैं जिसका प्रतिरोध बहुत कम होता है. और इसके लिए कम प्रतिरोध वाली तार का इस्तेमाल करने का भी कारण है. जो कि हम आपको आगे बताने वाले हैं.

Earthing System की जरूरत क्यों होती है

किसी भी उपकरण की अर्थिंग करने का सबसे पहला कारण होता है कि हम इलेक्ट्रिक शॉक से बच सकें. कई बार हमारा उपकरण खराब हो जाता है जिसके कारण उसके उपकरण के धातु वाले हिस्से में लीकेज करंट आ जाता है और जिसे छूने पर हमें करंट लग सकता है तो एसी करंट से बचने के लिए हम उस उपकरण की अर्थिंग कर देते हैं ताकि जो भी करंट है वह उस Earthing की मदद से सीधा धरती में चला जाए. और हमें बिजली का झटका ना लगे .
  • इसके अलावा हमें Earthing की क्यों जरूरत पड़ती है इसके कुछ पॉइंट नीचे बताए गए हैं.
  • अर्थिंग हमारे इलेक्ट्रिकल उपकरण को लीकेज करंट से बचाता है और हमें बिजली का झटका लगने से भी बचाता है.
  • यह बिल्डिंग को बारिश के समय गिरने वाली बिजली से भी बचाता है.

Electrical Earthing से संबंधित सवाल जवाब

Earth क्या है:
किसी भी बिजली से चलने वाले उपकरण को किसी तार के द्वारा धरती के अंदर दबी हुई अर्थिंग प्लेट से जोड़ना Earth कहलाता है
Solidly Earthed क्या है:
जब भी किसी बिजली के उपकरण को बिना किसी फ्यूज सर्किट ब्रेकर और प्रतिरोध के सीधा Earth Electrode से जोड़ा जाए उसे Solidly Earthed कहते हैं
Earth Electrode क्या है:
जब एक सुचालक या कुचालक की प्लेट को धरती के अंदर किसी बिजली के उपकरण की अर्थिंग के लिए दबाया जाता है तो इसे Earth Electrod कहते हैं.Earth Electrode कई प्रकार के होते हैं यह एक प्लेट के रूप में हो सकते हैं यह एक रोड के रूप में हो सकते हैं क्या किसी धातु की पानी वाली पाइप के रूप में हो सकते हैं जिस का प्रतिरोध कम से कम हो.
Earthing Lead क्या है :
Earth Electrode और उपकरण को आपस में जोड़ने के लिए Earthing Lead का इस्तेमाल किया जाता है.
Earth Continuity Conductor क्या है :
जो सुचालक तार हमारे घर के बिजली के सभी उपकरण को और स्विच बोर्ड को और पलक को आपस में जोड़ता है उसे हम Earth Continuity Conductor कहते हैं.
Earth Resistance क्या है:
अर्थ इलेक्ट्रोड और बिजली के उपकरण के बीच का कुल प्रतिरोध जिसे Ω (Ohms) में मापा जाए Earth Resistance कहलाता है.

Earthing कितने प्रकार की होती है

अर्थिंग कई प्रकार से की जाती है यह निर्भर करता है कि आप पर थी कहां पर और किस काम के लिए या कितने लोड के लिए करना चाहते हैं जैसे की हमारे घर में हमें ज्यादा हावी अर्थ इनकी जरूरत नहीं पड़ती लेकिन एक फैक्ट्री में एक बड़ी कंपनी में एक ज्यादा बड़ी अर्थी की जरूरत पड़ती है वहां पर एक या दो नहीं कई जगह से अर्थिंग लेनी पड़ती है. तुम नीचे आपको कुछ अर्थिंग के प्रकार बताए गए हैं और इनमें से एक अधिक का तरीका भी बताया गया है कि कैसे आप अपने घर में अर्थिंग कर सकते हैं .
1.Pipe Earthing
इस अर्थिंग के लिए कम से कम 1.5 या 2 Inch मोटी लोहे की पाइप का इस्तेमाल किया जाता है और इसकी लंबाई कम से कम 8 से 9 फुट होती है यह अर्थिंग इनका बहुत ज्यादा इस्तेमाल होने वाला तरीका है. इस तरीके में पाइप को नमी वाली जगह में 8 से 9 फुट नीचे गाढ़ दिया जाता है.और पाइप के चारो तरफ नमक और कोयला डालकर इसे ढक दिया जाता है और इससे अर्थिंग की तार को जोड़ दिया जाता है.
2.Rod Earthing
रोड अर्थिंग भी पाइप अर्थिंग की तरह ही होता है इसमें 12 Mm की एक तांबे की रोड को धरती में गाड़ दिया जाता है. तांबे की रोड को बिना गड्ढा खोद दे Pneumatic Hammer की मदद से सीधा धरती में गाड़ दिया जाता है. और इस से अर्थिंग वायर को जोड़ दिया जाता है .
3.Plate Earthing
प्लेट अर्थिंग सिस्टम में एक कॉपर की प्लेट होते हैं जिसका आकार 60cm X 60cm X 3.18mm ( 2ft X 2ft X 1/8 In) होता है.इस तांबे की प्लेट को धरती में 10 फीट नीचे दबा दिया जाता है. और यह प्लेट नमी वाली जगह में लगाई जाती है ताकि अर्थ इन ज्यादा अच्छे से हो सके .

Earthing करने के लिए सामान

अर्थिंग करने के लिए हमें काफी सामान की जरूरत पड़ती है लेकिन सबसे ज्यादा हमें तीन चीजों की जरूरत पड़ेगी जिसके नाम नीचे दिए गए हैं.
  1. Earth Continuity Conductor
  2. Earthing Lead
  3. Earth Electrode



अर्थिंग करने के लिए Earth Continuity Conductor वायर का इस्तेमाल जो आप करेंगे उसका प्रतिरोध 1Ω से ज्यादा नहीं होना चाहिए. अर्थिंग के लिए हमेशा कॉपर की तार का इस्तेमाल किया जाता है.अर्थिंग के लिए जो भी था आप इस्तेमाल करो उस का साइज कम से कम 6mm होना चाहिए.
अर्थिंग वायर को अर्थिंग प्लेट से जोड़ने के लिए हम Earthing Lead का इस्तेमाल करते हैं यह भी कॉपर की होनी चाहिए जैसा की ऊपर फोटो में दिखाया गया है. ज्यादा सुरक्षा के लिए आप दो अर्थिंग वायर का इस्तेमाल कर सकते हैं इसके लिए आपको Earthing Lead और अर्थिंग प्लेट भी दो लगानी होगी. और अर्थ इनका आपको Loop बनाना होगा. पहली अर्थिंग प्लेट से आप पर उठाकर उपकरण पर लेकर जाओगे और उसी उपकरण पर दूसरी तार लगाकर वापस नीचे अर्थिंग प्लेट से छोड़ोगे जिससे कि आपका उपकरण और ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा. दो अर्थिंग वायर का इस्तेमाल आप ज्यादा बड़े उपकरण के लिए करेंगे.
Earthing Electrode हमेशा कॉपर और लोहे की इस्तेमाल की जाती है लेकिन ज्यादा सुरक्षा के लिए कॉपर की ही इस्तेमाल की जाती है. अर्थिंग प्लेट को नमी वाली जगह पर लगाना चाहिए बाकी अर्थिंग ज्यादा अच्छी तरह से हो सके.

घर पर पाइप से Earthing Kaise कैसे


1. सबसे पहले नमी वाली जगह देख कर वहां पर एक गड्ढा खोदने गड्ढा 30 से.मी. × 30 से.मी. आकार का 4.75 मीटर  गहरा होना चाहिए . आप GI पाइप का इस्तेमाल करें . इस पाइप की लंबाई 2 मीटर तथा 38 मि.मी. व्यास होना चाहिए. और इस GI पाइप के बिच बीच में 12 मि.मी के  छेद करेंगे. यह पाइप नीचे से तिरछा कटा हुआ होना चाहिए .
2.इसके बाद GI पाइप को अर्थ इलैक्ट्रोड की पाइप के साथ में Reducing Socket दोबारा जोड़ना है.GI पाइप को हम भूमि के अंदर नमी रखने के लिए इस्तेमाल करेंगे. अब इन दोनों पाइप को गड्ढे में लगा दीजिए. Funnel जली से ढक दें ताकि इसके अंदर मिट्टी ना जा सके.
3. इस पाइप के अंदर आपको एक छेद करना है और उसके अंदर आपको 1 Net Bolt व वाशर लगाना है जिससे हम अपने अर्थिंग की तार को जोड़ेंगे. और अर्थिंग वायर को इस नट बोल्ट व वाशर की मदद से अच्छी तरह से पाइप के साथ में जोड़ दें ताकि यह ढीला ना रहे.
4. फिर आपको गड्ढे के अंदर नमक और कोयला डालना है. आप को नमक और कोयला कम से कम 10 – 10 किलो के करीब डालना है. और आप को एक साथ नमक या एक साथ कोयला नहीं डालना है पहले आप को थोड़ा नमक फिर उसके ऊपर थोड़ा कोयला और फिर से नमक और फिर से कोयला ऐसे करके आपको परत बनानी है बाकी कोयला और नमक आपस में मिल सके.
5. आधा नमक और कोयला डालने के बाद में आपको इसके ऊपर हल्का हल्का पानी डालना है ताकि नमक और कोयला अच्छे से जम जाए.
6. और फिर से नमक और कोयला डालना शुरु कर दें जैसे पहले परत के ऊपर परत बनाई थी वैसे ही . और सारा नमक और कोयला डालने के बाद में फिर से पानी का छिड़काव करते.
7. और फिर गड्ढे में मिट्टी भर दे. लेकिन जो हमारी अर्थिंग की तार है उसे आप एक अलग पतले प्लास्टिक के पाइप की मदद से बाहर निकाल ले . ताकि मिट्टी का असर हमारी अर्थिंग वायर के ऊपर ना हो.
8. अर्थ इलैक्ट्रोड की पाइप  को थोड़ा सा बाहर रख कर .उसमें पानी डालें और उसे पूरा भर दें और फिर उसके चारों तरफ ईटें लगा कर सीमेंट कंक्रीट से पक्का कर दें और ताकि उसके ऊपर ढक्कन लगाया जा सके. और यह पाइप पानी का भरने के बाद में इस गड्ढे को ढक दे.
9. अब अगले दिन आप इससे अपनी अर्थिंग वायर का कनेक्शन कर सकते हैं यह कनेक्शन करने के लिए तैयार है. इसे चेक करने के लिए आप किसी बल्ब का इस्तेमाल कर सकते हैं जिससे कि आप एक तार फेज वायर में लगा दें और दूसरा तार अर्थिंग पर लगा कर चेक कर सकते हैं.
सावधानियाँ
  1. गड्ढे में नमी के अनुसार पाइप को लगाना चाहिए.
  2. पाइप की लंबाई और मोटाई बिजली के नियम के अनुसार होनी चाहिए.
  3. पाइप के नीचे वाले हिस्से को तिरछा होना चाहिए.
  4. और पाइप के बीच में कुछ छेद होने चाहिए ताकि जब हम पाइप में पानी डालें तो वह पानी अच्छी तरह से चारों तरफ नमी बनाए.
  5. पाइप के साथ में जो भी तार आप जोड़े उसका कनेक्शन अच्छे से कसा हुआ होना चाहिए.

प्लेट अर्थिंग (Plate Earthing)

1.जमीन में 3 मीटर से अधिक गहरा गड्डा खोदो जिसकी चौड़ाई 90 से.मी. × 90 से.मी. हो।
2.अर्थ इलैक्ट्रोड (Earth Electrode) के लिए एक कॉपर की प्लेट जिसका साइज 60 से.मी. × 60 से.मी. × 3.18 मि.मी या जी.आई. की प्लेट जिसका साइज 60 से.मी × 60 से.मी × 35 मि.मी. हो।
3.प्लेट के बीचे में छेद करो।
4.तार के टुकडे़ को जिसको Earthing Lead कहते हैं, नट-वोल्ट से प्लेट के साथ कस दो ।
5.अब प्लेट को गड्डे की सतह में वर्टिकली (Vertically) रख दो ।
6.प्लेट के चारों ओर 15 से.मी. मोटी तह नमक व कोयले की एक – दूसरे के बाद लगाओ जब तक प्लेट ढक न जाये।
7.Earthing Lead को 12-5 मि.मी. व्यास पाइप के अन्दर से निकालो।
8.एक 19 मि.मी. व्यास का पाइप प्लेट की सतह तक ले जाओं।
9.एक कीप (Funnel) को 19 मि.मी. व्यास पाइप के ऊपरी सतह पर लगाओ।
10.गड्डे को कास्ट-आयरन के ढक्कन (Cover) से बन्द कर दो ।
इस पोस्ट में आपको अर्थिंग की परिभाषा,बिजली अर्थिंग,अर्थिंग बनाने के तरीके,अर्थिंग गड्ढे,प्लेट अर्थिंग आरेख,अर्थिंग किसे कहते है,अर्थिंग प्रणाली,Earthing System In Hindi के बारे में पूरी जानकारी दी है 

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